Friday, 23 December 2016

“ नव वर्ष में नवसंकल्प “




परम सत्ता द्वारा रचित यह सृष्टि सौंदर्य का आगार है | चहुँ ओर परम का सौंदर्य बिखरा है तथा मनुष्य का जीवन तो इतना सौन्दर्यपूर्ण एवं आनंदपूर्ण है कि उसका प्रत्येक क्षण मूल्यवान है | आवश्यकता है तो मात्र उस विवेकपूर्ण दृष्टि की जो इस सौंदर्य का पान कर सके | मनुष्य के जीवन की सभी अवस्थाएँ – शैशव, किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था अपना एक विशेष सौंदर्य लिए हुए हैं तथा जब समय के साथ व्यक्ति एक अवस्था से दूसरी अवस्था में प्रवेश करता है तो उस परिवर्तन का भी एक अलग ही आनंद, एक अलग ही सौंदर्य है | वास्तव में परिवर्तन का जो नियम सृष्टि का आधार है, वही जीवन को सौन्दर्यपूर्ण करता है | यदि सदा एक ही अवस्था, एक ही परिस्थिति बनी रहे तो जीवन का रस समाप्त हो जाता है, जीवन नीरस हो जाता है | जीवन को रसपूर्ण बनाता है ---- परिवर्तन | यही कारण है कि व्यक्ति सदैव नवीनता का स्वागत करता है | वह जीवन में कुछ नया चाहता है | यह नवीनता ही मनुष्य के भीतर उत्साह, उमंग, नवऊर्जा एवं कर्मठता का संचार करती है | नवजात शिशु का जन्म, नववधू का आगमन, नवीन गृह में प्रवेश, नवीन कार्य का प्रारम्भ,  नवीन अध्याय का प्रारम्भ ---   जीवन की ये सभी घटनाएँ, सभी पड़ाव मनुष्य के जीवन में नवऊर्जा लेकर आते हैं तथा इन्हीं पड़ावों में से एक है --- नववर्ष का आगमन |

जिस प्रकार सूर्योदय प्रतिदिन मनुष्य के भीतर कर्मठता एवं उत्साह का संचार कर देता है, उसी प्रकार नववर्ष प्रतिवर्ष मनुष्य के भीतर नई उमंग, नए संकल्प तथा नई प्रेरणा लेकर आता है | इधर गत वर्ष अतीत में खिले एक सुंदर पुष्प की भांति समय के गर्भ में समा रहा है जिसकी पंखुड़ियों रूपी स्मृतियाँ आपके मानस पटल पर अंकित है तथा उधर नववर्ष खिलती कली की भांति पुष्प में परिवर्तित होने की स्थिति में है जो आपके कोमल स्पर्श, प्रेमपूर्ण दृष्टि तथा उत्साह, उमंग एवं नवऊर्जा पूर्ण देख-रेख की प्रतीक्षा कर रहा है | सन्धि की यह वेला अत्यंत महत्वपूर्ण है | अतीत की उपलब्धियों के लिए स्वयं की पीठ थपथपाएं, असफलताओं से शिक्षा लें तथा नवसंकल्प के साथ नववर्ष का अभिनंदन करें | नवनिर्माण, नवसृजन, नवप्रेरणा, नवजीवन, नवउत्साह का बांहें फैलाकर स्वागत करें |आपका अतीत भी उज्ज्वल था, भविष्य भी उज्ज्वल है, आत्मविश्वास के साथ वर्तमान के एक – एक क्षण को सम्भाल लें | अपने जीवन को सार्थक करने के लिए कुछ संकल्प लें और सद्गुरु एवं ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे आपको इन संकल्पों को पूरा करने की शक्ति  प्रदान करें | प्रकृति ने जो विशेषता, जो सद्गुण, जो कुशलता आप के भीतर दी है, उसे पहचानें, उसका विकास करें तथा जो गुण आप प्राप्त करना चाहते हैं, व्यक्तित्व में समाहित करना चाहते हैं, उनकी प्राप्ति के लिए प्रयासरत होने का संकल्प करें | अतीत की घटनाओं, अनुभवों एवं त्रुटियों से शिक्षा ग्रहण करें तथा भविष्य में उन्हें न दोहराने का संकल्प लें | दृढ़ता के साथ संकल्पबद्ध होकर जब आप आगे बढ़ेंगे तो पाएंगे कि सफलता के द्वार आपके लिए खुल रहे हैं | यह समय है संकल्पबद्ध होने का, यह अवसर है आत्म – विश्लेष्ण, आत्ममंथन एवं आत्मसुधार करने का, यह वेला है आत्म शोधन की | नवउत्साह एवं नवउमंग के साथ नववर्ष का स्वागत करें | सांसारिक एवं आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में सफलता की ओर बढ़ने के लिए संकल्पबद्ध हों | आप सभी के लिए मेरा आशीर्वाद है कि यह आने वाला वर्ष आपके लिए ईश्वर की अनंत कृपाएँ लेकर आए |


Wednesday, 7 December 2016

MEDITATION INCREASES HAPPINESS


MEDITATION INCREASES HAPPINESS

The law of nature is to change, change from summer to winter, from spring to fall, from light of the full moon to the darkness of the new moon.  Neither pains, nor pleasure lasts forever.  Pleasure comes after pain and pain is followed again by pleasure.  Reflecting like this, one must learn to tolerate the blows of time with patience and learn not only to endure but also to expect welcome, and enjoy both the joys as well as the sorrows of life. Meditation increases happiness in many folds.  Some of them are illustrated hereunder:


              Awareness: Meditation makes you aware of your posture, your breathing, your gestures, your body movements, your energy, and your overall presence. This awareness alone makes you show up more confident and happier.  Confidence is a contagious and attractive quality to wake you up daily.

             

              Tuning with Vibe:  Meditation makes you pay more attention to your surroundings. It also makes you to be totally present. You then easily pick up on the reaction of people around you, and as you tune into their energies, you show more empathy and compassion towards them. Giving and being of service to others increases your own happiness.


             Clear Thoughts: Meditation helps you collect your thoughts and think clearly. It reminds you that you don’t need to be in a rush all day long, you can pause, you can be silent, you can think and hear your thoughts, and you get a lot of clarity from slowing down. Meditation also makes you pay attention to your breath; sending more oxygen to your brain and centering your whole body and mind as a result.


             Emotions: Meditation enables you to channel your emotions with grace and control. It helps you show enthusiasm and exuberance without being overly silly. It helps you to be more certain and more assertive in your message. It helps you smooth out the edges. Just do as you would do if you are cleaning up audio wave forms and removing the peaks and valleys.


             Connection: Meditation enables you to channel your emotions with grace and control. It helps you focus your attention on what is really important and let the unimportant stuff go in the process. For instance, you focus more on relationships and less on the minutia of life, the longer you meditate. Happier relationships are the key to more happiness!


Meditation Guru Archna Didi is a name of purity and divinity. She is a young and dynamic master in the world of meditation. She teaches different and practical techniques of meditation. She has taken up an initiative of enlightening people to reunite with their roots, with their soul. She is the Chairperson and Founder of Celebrating Life Foundation.  Didi is a dynamic personality who takes up the current issues and makes all the efforts to improve the situation through the network of people whom Didi has nurtured through her blessings and teachings. She is not just a name or a meditation master. She is a living soul and has taken care of all the worries and doubts of her known and disciples.  Without saying anything she quietly solves many of the problems. She has made an effort to bring self realization in the society. 


               Meditation Guru  Archna didi takes several meditation sessions in different states of India and also outside India, so that society at large is benefitted by her teachings and blessings. The sessions are so good, reviving and rejuvenating that one cannot stop from meeting and attending her sessions again. Her smile brings the whole universe at one place. The moment she holds her devotee's hand, she carries all the problems, worries and doubts on her and with her simplicity removes all the obstacles.


               This divine soul Archna Didi came to this world on 27th March and each year her devotees celebrate this day with lots of joy. She comes after her two months of Maun Sadhana on this day with all her energies showering on us. This is a great time to be with her and take blessings from her. Everyone is invited to this celebrating event where Didi through her high gained energies benefits society at large.  Be a part of this divinity as some events come only once in a lifetime and give us unforgettable memories



You all are coordinately invited to this grand celebration on 27th March 2017,  Monday at Des Raj Arya Auditorium, East of Kailash evening 6 : 30 pm onwards.





Wednesday, 23 November 2016

भीतर का संसार








व्यक्ति का जीवन स्वयं में एक रहस्य है | सभी के मन में जीवन के विभिन्न आयामों को लेकर अनेक प्रश्न उठते हैं जिनके उत्तर हम बाहर खोजने का प्रयास करते हैं किंतु खोज नहीं पाते | वस्तुतः संसार उतना ही नहीं है जितना स्थूल आँखों से दिखाई देता है | स्थूल आँखों की पहुंच से परे भी संसार के अनेक रहस्य हैं | मनुष्य का स्थूल शरीर भी जो कुछ स्थूल आंखों से दिखाई देता है , मात्र उतना ही नहीं है | जिस प्रकार नन्हे से बीज में वृक्ष बनने की संभावना एवं शक्ति छिपी है , उसी प्रकार मनुष्य के भीतर भी अनेक शक्तियाँ छिपी हैं | स्थूल शरीर के भीतर सूक्ष्म शरीर तथा उससे जुड़े अनेक तत्व अत्यंत रहस्यात्मक हैं तथा इन रहस्यों के अनावरण का एक ही माध्यम है -------- ध्यान  ।

ध्यान के पथ पर अग्रसर होते – होते वे रहस्य उद्घाटित होने लगते हैं तथा भीतर की शक्तियाँ जागृत होने लगती हैं | ध्यान की विशेष विधियों के अभ्यास से व्यक्ति को वह सुनाई देने लगता है जो कभी नहीं सुना ; वह दिखाई देने लगता है जो कभी नहीं देखा ; वह अनुभूति होने लगती है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की , किंतु यह स्थूल कर्णों , स्थूल आँखों तथा स्थूल शरीर का विषय नहीं है | यह भीतर का संसार है , सूक्ष्म संसार है।

जब ध्यान के माध्यम से व्यक्ति इसमें प्रवेश करता है तो आश्चर्य से भर जाता है कि भीतर का सौंदर्य , भीतर का संसार कितना मोहक , कितना आकर्षक है तथा कितना दिव्य है किंतु उसमें प्रवेश सम्भव है ---- सद्गुरु का हाथ थामकर , उनके मार्गदर्शन में उनके शरणागत होकर |


स्वप्रयास से साधक इसमें प्रवेश नहीं कर सकता | सद्गुरु का मार्गदर्शन ही उसका एकमात्र सम्बल होता है तथा इस मार्गदर्शन में निष्ठापूर्वक साधना करते – करते जब वह भीतर उतरता है तो आनंदविभोर हो उठता है | भीतर वे दृश्य दिखाई देते हैं जो स्थूल आँखों से देखे नहीं जा सकते, वह ध्वनि सुनाई देती है जो स्थूल कर्णों से कभी नहीं सुनी जा सकती | वे अनुभूतियाँ होती हैं जो शब्दों में वर्णित नहीं की जा सकतीं। |
बांसुरी के सात स्वरों की भांति ही सूक्ष्म शरीर में सात चक्र माने जाते हैं जिनमें से होकर विद्युत की भांति ध्यान की सूक्ष्म  ऊर्जा ऊपर उठती है | ऊर्जा के यह सात केन्द्र                , सात चक्र जब साधना द्वारा सक्रिय होते हैं , जागृत होते हैं तो साधक के समक्ष एक नवीन संसार का द्वार खुल जाता है ।चक्रों के सक्रियकरण के फलस्वरूप , भीतर छिपी क्षमताओं एवं सम्भावनाओं के जागृत होने से साधक के व्यक्तित्व में विशेष गुण प्रकट होने लगते हैं।
वह सांसारिक क्षेत्र में भी सफलता की ओर अग्रसर होने लगता है तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उत्तरोतर आगे बढ़ने लगता है , उसके सम्पर्क में आने वाले लोग उसके विलक्षण गुणों से प्रभावित होने लगते हैं |
ध्यान का यह संसार बहुत सुंदर , मोहक तथा अद्भुत है तथा मानव जीवन इसमें प्रवेश का स्वर्णिम अवसर है।

                                                                               ----  ध्यान गुरु अर्चना दीदी

Tuesday, 15 November 2016

MOON CHAKRA MEDITATION


    THE GATEWAY TO PHYSICAL, MENTAL AND SPIRITUAL EXCELLENCE. 

" Moon " CHAKRA MEDITATION signifies the full flowering of consciousness and introduces you to the seven vital energy centers in the body, called CHAKRAS.
This powefull meditation takes you to a whole new spiritual level. It makes you a much calmer person and completely cools down the mind.
SOME OF THE BENEFITS OF THIS UNIQUE WORKSHOP
*  Activation of all Seven Chakras. 
*  Purification of mind, body and soul.
*  Ensures better Physical and Sound Mental Health
    ( Relieves depression, tension, worries, anxiety etc. ) 
*  Blossoms good relations.
*  Helps in balancing emotions.
 Makes one more relaxed, energetic, enlightened and positive.
*  Realization of true self.
*  Spiritual enhancement and unity with supremem power.
SO JOIN US TO FEEL THE MAGICAL EXPERIENCE OF " MOON " CHAKRA 
MEDITATION !!!

Thursday, 6 October 2016

दीपावली के अवसर पर आइए अपने सौभाग्य को जगाएं।


परम पूज्य ध्यान गुरू “अर्चना दीदी” के प्रकाशमयी सान्निध्य में दीपावली के शुभ उपलक्ष्य में

“दीपावली महोत्सव कार्यक्रम”

29 अक्टूबर 2016 ( 8:00 am)
SANATAN DHARM MANDIR - LAJPAT NAGAR III ( NEWDELHI )

कार्यक्रम विवरण
प्रातः 8:00 बजे - लक्ष्मी - गणेश पूजन एवं यज्ञ
                         9:00 बजे- दर्शनम् एवं भजन
                         9:30 बजे - ध्यान एवं आशीर्वचन

दीपावली के अवसर पर आइए अपने सौभाग्य को जगाएं।

दीपावली का यह त्यौहार प्रकाश की दिव्य किरणों के साथ निकट आ रहा है | इस उपलक्ष्य में दीप प्रज्वलन द्वारा घर आंगन को तो प्रकाशित करें ही , साथ ही आइए अपने हृदय मंदिर में भी ज्ञान, भक्ति, ध्यान तथा साधना के दीप प्रज्वलित करने का प्रयास करें | परम पूज्य “ अर्चना दीदी “ की असीम अनुकम्पा से, उनके प्रकाशमयी सान्निध्य का लाभ प्राप्त करें, अपने अन्तःकरण को प्रकाशित करें ताकि दीपावली का यह पर्व हमारे जीवन में प्रसन्नता, शांति, प्रेम, सौम्यता, उत्साह व उमंग का प्रकाश लेकर आए|

आप सभी इस दीपावली महोत्सव में दीदी द्वारा निर्देशित विशेष लक्ष्मी – गणेश पूजन, यज्ञ एवं ध्यान में इष्ट मित्रों सहित, सपरिवार उत्साहपूर्वक सम्मिलित होने के लिए सादर आमंत्रित हैं |

CELEBERATING LIFE FOUNDATION      9999303130, 9213444499

Tuesday, 13 September 2016

Positive Control

               

  Positive Control

   The positive control of a winner is acceptance of full responsibility for causing the effects in his/her life. Winners know that barring congenital faults, self and positive control is the key to both mental, physical health and can contribute enormously to total being. They take the credit for determining, creating, making their own place in the world.

    You are on the driver seat in your own life. In many respects, you have exerted control since you were born and cried for milk and a dry diaper. You can learn how to respond and adapt more successfully to the stresses in life by accepting responsibility today for causing your own effects. You alone hold the key to your reactions to people who want to rain on you.

   Remember, it's not so much "what happens" that counts in life, it's "how you take it" that counts. The real essence of positive control is that nearly everything in life is volitional and that each of us has many more choices and alternatives than we are willing to consider. We have even control over certain body functions that we thought were involuntary.  A winner says: "I take the credit or the blame for my performance." Losers say: "I can't understand why life did this to me.

   Meditation Satguru Archna Didi teaches us the following action plan:

    1. Take the blame and the credit for your position in life honestly and openly.
    2. In place of "I have to" use "I have decided to". In place of "I am afraid to" use "I am more comfortable doing this.
   3. Learn how to relax mentally and physically.
   4. Set a specific time-frame each week to initiate action letters and action calls on your own behalf. If someone has not responded for a letter from you within two weeks, send a reminder or follow up or a phone call. If there is still no response, take an alternative approach with someone else.
   5. Carry another motto with you and make it part of your life. Action "TNT" (Today Not Tomorrow).
   6. Sit down and list positive alternatives of habits that you seriously want to change.
    7. Your company cares, your family cares but your job does not care. Only you can take the initiative to give your job what it has deserved all along. Give your maximum effort to your job, your company, your routine and your services to the others.  Renew your dedications for another month.
   8. Invest in your knowledge and skill development. It is said, "if an individual emptied his purse into his head, no one can take it from him."
   9. Set your alarm-clock a half-hour early tomorrow morning and leave it at the earlier setting. Use this extra half-hour of your life to wake up and live. Use this time to answer the question, how can I best spend my time today on priorities that are important to me.





ॐ चक्र साधना शिविर

ध्यान गुरु अर्चना दीदी की पावन उपस्थिति में नोएडा स्टेडियम में आयोजित ॐ चक्र साधना शिविर

8 से 11 सितम्बर 2016, ध्यान गुरु अर्चना दीदी की दिव्य उपस्थिति में नोएडा स्टेडियम में ॐ चक्र साधना शिविर का  विशेष आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली,  द्वारका, फरीदाबाद तथा नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों से साधकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

दीदी ने चक्र साधना के रहस्य उद्घाटित  किए तथा साधकों को चक्र सक्रियकरण का अनुभव कराकर कृतार्थ किया।

दीदी ने साधकों को संबोधित करते हुए चक्र साधना के जीवन में लाभ पर भी प्रकाश डाला। साधना के साथ साथ साधकों को प्राणायाम, यौगिक क्रियाओं एवं हास्य का भी अभ्यास कराया गया।

ध्यान की इन सरल एवं प्रभावशाली विधियों द्वारा दिव्य अनुभूति प्राप्त कर सभी आनंदित हो उठे। भाव विभोर हो साधकों ने दीदी से दीक्षा प्राप्त करने, सेवा व साधना में आगे बढ़ने तथा संस्था की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए विशेष रुचि दिखाई।

नोएडा में साधकों का एक ऐसा समूह बनने का प्रस्ताव भी रखा गया जो नोएडा में मासिक रूप में एकत्रित होकर ध्यान की धारा प्रवाहित कर सकें।

नोएडा के शिविर के सफल आयोजन में दीदी के चरणों में जिन साधकों की अहम् भूमिका रही:

श्री ओ. पी. अनेजा, श्री दिनेश भारद्वाज (रिज़र्वेशन सुपर्वाइज़र, भारतीय रेल), सी. ए. राकेश सोनी (स्व नियोजित), सी. ए. वाई. के. गुप्ता (सेवारत), श्रीमती नीना यादव (रिजर्वेशन सुपर्वाइज़र भारतीय रेल), श्रीमती निशा सिंघल (सेवारत- टैक्नेट ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड)।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि रहे:
सिटी मजिस्ट्रेट श्री बच्चू सिंह जी, प्रोजेक्ट इन्जीनियर नोएडा ओथोरिटी श्री एस. सी. मिश्रा जी, आर. डब्ल्यू. ए. अध्यक्ष श्री एन. पी. सिंह जी, कस्टम एंड एक्साइज कमिश्नर श्री आर. के.  सक्सेना जी इत्यादि।

Sunday, 11 September 2016

REASONS OF STRESS AMONG STUDENTS

REASONS OF STRESS AMONG STUDENTS
Stress is one of the most prevalent and common problem that is faced by majority of population.
We use the word stress quite commonly in our everyday life but the exact meaning might be unknown to many. The word stress has been derived from the latin word ‘strictus’ which means to tighten. It can easily be understood by the feelings of tightening and constriction of muscles and breathing as reported by many people under stress. In today’s world of competition, stress has its roots deep into the society spreading its ill effects to the productive section of the society that is the students. Students or our youth in order to become something and attain an identity of their own thrive day and night to reach their goals and work hard as much as they can. This process even
though might prove fruitful later on makes the students face a lot of tension which ultimately leads to STRESS.
Meditation Guru Archna Didi has conducted various workshops related to the problems faced by the youngsters. She lays emphasis on the importance of inner peace among an individual, which is
necessary to work effectively and attain goals. As in the case of students, they need to perform in different examinations and also in different assets of life which pushes them in the hands of stress. With such chaos going on in their mind they further perform bad which stresses them more.
They eventually get trapped in a vicious cycle. This is when the role of a Guru comes into play.
Reasons of stress can be plenty depending upon the individual and the problems they are facing.
There are found to be many stressors(stress provoking situations) which we face in our life, some being:
Social stressors
Physical and environmental stressors
Psychological stressors.
Some of the obvious and most common reasons of stress are enlisted below:
PEER PRESSURE - it is the most common reason which simply refers to the influence exerted by people of our own group on us. It can certainly be positive but it creates a hassle when we fight to stand equal to other members. Also there might have been times when we have to comply with things and opinions we usually don’t entertain just because we don’t want to stand out.
EXPECTATIONS-  there are people around us who have a lot of expectations from us be it our parents, relatives, neighbors or even ourselves. When we are unable to stand upto peoples expectations we feel guilty and a feeling of inability to do a particular task creeps over us. This again leads to the well known problem, stress.
COMPETITION-  if we consider that stress is caused only when we are unable work towards reaching our goals, we are surely mistaken. What about the students who are working out their goals? They are still found to be stressed. This is due the competition that is prevailing nowadays. Taking a simple and well known example of the students appearing for medical. LAKHS of students study and work hard to fight for few Thousands seats. This surely stresses out the appearing students which if not attended can affect them and their performances.
There are also found to be such sections of the society in which the children have the wish and the potential to study and reach their goals are unable to do so due to the conditions of their family ie. low income etc.
PRESSURE-  the pressure that the parents and the teachers put on the student is also a major cause of stress. Everybody wants their child to become a respectable member of the society. But in order to train them towards this they instead pressurize them and burden them with their decisions. So in the battle between what the parents want and what the  child would himself like to do, the result is just nil.
IDEAL AND REAL SELF-  real self is considered to be what the individual is and ideal self corresponds to what the individual wants to be. It is considered that stress is also caused when there is lack of harmony between these two ie. the student is not like what he wants himself to be.
RELATIONSHIPS-  a student has plenty of relationships like that with their parents, teachers and specially the one with their peer. Stress is seen to occur with relationships going bad or the student is unable to handle these different relations.
Looking at the points below it can be easily understood that each and every activity an indivisual student indulges in can drag them in the clutches of stress if not performed correctly. Archna Didi with her simple and short exercises has proven that for a peace of mind long hours of meditation are not required. She emphasis that a person should positively
take out time from their schedules to just and spend time with themselves. You will be surprised to know how easily you unburden yourself when you sit with your eyes closed, keeping all thoughts out. The chanting of the word OM is also a mind soother.
So to relax ourselves all we need is to give about 5 minutes to ourselves and see the magic happen.

Saturday, 3 September 2016

ध्यान है – एक अनुभव

             


                   ध्यान है – एक अनुभव


      भारत देश का अध्यात्म, ज्ञान, ध्यान, मनोविज्ञान एवं जीवन दर्शन संपूर्ण विश्व में सदा से ही वन्दनीय, एवं आदरणीय रहा है | हमारे ऋषि-मुनियों, योगियों, तपस्वियों, महापुरषों ने साधना के उपरान्त जो ज्ञान प्राप्त किया, जो अनुभूतियाँ, जो उपलब्धियाँ प्राप्त की, वे उनकी चेतना के उच्चतम स्तर की परिचायक है | हमारे ग्रन्थ, शास्त्र एवं पुस्तकें आदि उस आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण है | वेद, उपनिषद, गीता, रामायण, पुराण आदि ग्रंथों में आत्मा-परमात्मा, अध्यात्म विधा, जीवन दर्शन आदि विषयक उच्च ज्ञान अकिंत है | इन ग्रंथों का पठन, मनन, चिन्तन, अध्ययन आदि हमें संकेत देता है कि जो संसार हमें स्थूल आँखों से दिखाई देता है, उससे परे भी एक संसार है, रहस्यात्मक संसार है | हम शरीर नहीं, आत्मा है | हमारी यात्रा इस स्थूल शरीर की नहीं, आत्मा अनश्वर है, अनादि है | यह भारतवर्ष का गूढ़ ज्ञान है, अध्यात्म है,दर्शन है |
    किंतु महत्वपूर्ण है – कि हमें इन विषयों का शाब्दिक ज्ञान हो जाए, पुस्तकीय ज्ञान हो जाए, यह पर्याप्त नहीं है | शाब्दिक ज्ञान हमारी चर्चा का विषय हो सकता है, अहंकार का विषय हो सकता है किंतु हमें अनुमति नहीं दे सकता | हम कितना भी प्रयास कर लें, हम शरीर के स्तर पर ही रहते हैं, आत्मा के स्तर पर नहीं जा सकते | हम कितना ही ग्रंथों का अध्ययन कर लें, आत्मा परमात्मा विषयक पुस्तकें पढ़ लें, उससे हमें आत्मबोध नहीं हों सकता | वह मात्र पुस्तकीय ज्ञान है,शब्द है |
          आत्मा के स्तर पर पहुँचने का केवल और केवल एक ही मार्ग है – वह है ध्यान, भक्ति, जप-तप | ध्यान ही भीतर का मार्ग प्रशस्त करता है, स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर एवं आत्मा तक की यात्रा का मार्ग खोलता है | पुस्तकीय ज्ञान को अनुभूति में लाने का एक ही माध्यम है –ध्यान |
     कल्पना कीजिये कि आप भोजन के विषय में, खाद्य पदार्थो के विषय में, पाचन क्रिया के विषय में, स्वादिष्ट व्यंजन के विषय में बहुत सी पुस्तकें पढते है | किंतु न तो व्यंजन बनाते है, न ही ग्रहण कर पा रहें है, न ही स्वाद का आनंद ले पाएगें | पुस्तके पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है, महत्वपूर्ण है कि पुस्तकों में अकिंत शब्द आपके अनुभव में आ जाये | मिष्ठान के विषय में पढ़ने से आपको संकेत तो मिल सकता है किंतु यदि मिष्ठान का स्वाद लेना चाहते है तो खाये बिना नहीं हों सकता | तभी वह आपका अनुभव बनता है | यदि तथ्य प्रत्येक विषय के लिए है |
     आध्यात्मिक उन्नति भी तभी सम्भव है जब ग्रंथों का गूढ़ ज्ञान ध्यान के माध्यम से आपके भीतर उतर आए | यदि पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त कर आप उसका प्रयोग स्वयं को ज्ञानी प्रदर्शित करने में करते है, तो वह आपको अहंकारी बना देगा, उससे आपकी आध्यात्मिक उन्नति नहीं अपितु पतन होता है | हमारे आध्यात्मिक ग्रंथो में में अकिंत ज्ञान हमारे आत्मोत्थान के लिए है, पतन के लिए नहीं | उस ज्ञान को अनुभव में लाने के लिए आवश्यक है – ध्यान में प्रवेश | ध्यान द्वारा भीतर की यात्रा करते करते हम अनुभूतियों के लोक में प्रवेश करते है | जैसे जैसे हमारा ह्रदय पवित्र होता जाता है, हम ध्यान में प्रवेश करते जाते है, हमारे समक्ष सूक्ष्म लोकों के द्वार खुलते चले जाते है | और हम आश्चर्य से भर जाते है कि आत्मा का, परमात्मा का लोक कितना सौंदर्यपूर्ण, रसपूर्ण एवं आनंदपूर्ण है |
     किंतु ध्यान में प्रवेश होता है –सद्गुरु की कृपा से, उनके आशीर्वाद एवं उनकी अनुकम्पा से | ध्यान का क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमे साधक के प्रयास नहीं, सद्गुरु की कृपा कार्य करती है | साधक का प्रयास मात्र इतना ही होना चाहिए कि सद्गुरु के प्रति उसका समर्पण, उसकी श्रद्धा एवं निष्ठा शत-प्रतिशत हो |  

     जैसे ही वह एक योग्य शिष्य, योग्य साधक बन जाता है, सद्गुरु की कृपा का द्वार खुल जाता है तथा वह ध्यान के दिव्य लोक में प्रवेश कर उतरोत्तर उन्नति करता चला जाता है | फिर ग्रंथो का ज्ञान, आत्मा, परमात्मा, सूक्ष्म संसार, चक्र रहस्य आदि उसके लिए शब्द मात्र नहीं रह जाते | अपितु उसके अनुभव में आ जाते है | जीवन का नया अध्याय प्रांरभ हों जाता है | ईश्वर करे कि आप सभी के जीवन में वास्तविक ध्यान एवं अध्यात्म प्रवेश कर सके तथा आप एक अच्छे इंसान, अच्छे साधक बनकर जीवन को सार्थक कर सके |       

YOGA AND MEDITATION



YOGA AND MEDITATION


Life is a miracle, and since we are created by the same Master Creator, we are all living, breathing miracles—examples of the infinite possibilities that are available to us.  Hence we should let go our worries, fears and doubts.  Divine miracles are all around us, and our trust in them will give us peace.
            When the pall of ignorance envelopes the inner self and the individual lose the sense of directions, his mind becomes numb and he loses his mental equilibrium.  He fails to differentiate between what is right and wrong.  He becomes aimless.  He is caught in the whirlpool of false believes and superstitions leading to observance of meaningless rituals.  Eventually, he sinks into the dark abyss.
            A musical instrument cannot play by itself, but in the hands of a master musician, it seems to come alive with beautiful, soul stirring music.  We ourselves are instruments through which the nature produces beautiful music, songs of peace and harmony for those around us to enjoy.
            How can a fallen man be resurrected? How does a human being come out of the darkness and proceed towards light to lead a meaningful life?  The technique is well taught by MEDITATION GURU ARCHNA DIDI. She explains and teaches on the subject that with constant practice, one learns to recognize the breath as a mental concept.  This constitutes attainment of knowledge capable of opening the door to the Almighty. Recently a workshop was held by her on ‘SHIVOHAM CHAKRAS MEDITATION’ at Sanatam Dharam Mandir, Lajpat Nagar, New Delhi, for four days.       
            DIDI’s yoga sessions include yoga practices, asnas, mudras, pranayama and body awareness, modernized for accessible use in all environments and abundant lifestyles.  All Yoga intents are welcomed to release daily stress and relax to deepen physical strength and flexibility or simply engaging life fully.  Her expertise includes the wisdom of self compassion through nurturing of mind, body and spirit.  Her experience enlivens the individual’s creativity, dynamism, orderliness and organizing power, which results in increasing effectiveness and success in daily life.

Meditation Sadguru Didi has very clearly brought out that we all should chase the dream, walk along a stream, laugh out loud, whistle a tune, whisper a promise, cherish a memory, lend a helping hand, wipe a tear and never fear.  Laugh uncontrollably and never regret things that made you not smile.   

“वह” हमें देख रहा है

                 


                                  “वह”  हमें देख रहा है

     व्यक्ति के जीवन की एक-एक श्वास अत्यंत महत्वपूर्ण है | श्वासों की उपमा बहुमूल्य रत्नों से दी जाए तो अतिश्योक्ति न होगी | हर श्वास एक अमूल्य रत्न है और यह जीवन रत्नों की खान है | किंतु संसार में कितने लोग है जो इसका महत्व समझ पाते है | हम में से कितने व्यक्ति है, जो जीवन के उद्देश्य के प्रति सजग है ? सजग रहना तो दूर की बात है, संसार में बहुत कम लोग होते है जिन्हें अपने जीवन के उद्देश्य का बोध होता है अन्यथा अधिकाशत: लोगों का जीवन निरूद्देश्य ही बीत जाता है | और यह उस परमात्मा के जीवन रूपी उपहार का सबसे बड़ा निरादर है |
         उस परमात्मा ने, परम शक्ति ने हमें यह जीवन दिया, अनमोल श्वासों की पूंजी दी और अनंत संभावनाएं एवं क्षमताएँ प्रदान की | यह जीवन एक विशेष उद्देश्य के लिए मिला है, आत्म विकास के लिए,  आत्म उन्नति के लिए, पशुत्व से मनुष्यत्व की ओर एवं मनुष्यत्व से देवता की ओर अग्रसर होने के लिये मिला है | अन्धकार से प्रकाश की ओर आरोहण के लिए मिला है | इस जीवन का एक-एक श्वास अनमोल है और इसके एक-एक श्वास के लिए हम उतरदायी है | हम स्वंय अपने भाग्य निर्माता है अपनी वर्तमान एवं भविष्य की स्थितियों के लिए हम जिम्मेदार है, उत्तरदायी है | प्रकृति एवं ईश्वर द्वारा हमें जीवन में अनेक अवसर प्राप्त होते है किंतु जो सजग है, होश में है, वे ही इन अवसरों का लाभ उठा पाते है अन्यथा मनुष्य अपना जीवन व्यर्थ ही गंवा देता है, वह इन अमूल्य श्वासों का मूल्य समझ ही नहीं पाता | किंतु ध्यान रखना कि परमात्मा को, जिसने हमें यह जीवन दिया है, एक दिन हमें उस परमात्मा को उत्तर देना होगा कि हमनें इस जीवन में क्या किया | एक-एक श्वास जो उसने हमें दी, उसके प्रति हम उतरदायी है क्योंकि यह जीवन हमारा नहीं है, उस परम शक्ति द्वारा हमें दिया गया है, विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दिया गया है |
       जिस प्रकार एक पिता जब अपनी संपति, अपनी सन्तान को देता है तो एक-एक पैसे का हिसाब मांगने का अधिकार रखता है | यदि वह देखता है कि सन्तान योग्य है, उसे उस संपति के महत्व का बोध है तो वह प्रसन्न होकर सहर्ष और अधिक संपति देने का इच्छुक होता है | किंतु यदि पिता देखे कि सन्तान अयोग्य है, उसे पिता द्वारा दी गयी संपति की कद्र नहीं है तथा वह उसे संभालने में असमर्थ है तो फिर पिता उसे और अधिक देने का इच्छुक नहीं होता | इसी प्रकार जब परमात्मा देखता है, कि हम उसके द्वारा दिए गए श्वासों का मूल्य समझते है, एक-एक श्वास का सदुपयोग करना जानते है, जीवन में सद्गुण अर्जन, उतरदायित्व एवं एक-एक श्वास के प्रति सजग है तो वह हमें बार-बार मनुष्य जीवन देकर आत्मोन्नति की संभावनाएं प्रदान करता है | किंतु यदि व्यक्ति इन श्वासों का मूल्य ना समझे, निरुद्देश्य होकर जीवन को व्यर्थ गंवा दे तथा पतन की धरोहर है, हमारी हर श्वास पर उसका ही अधिकार है, वह स्वामी है, हम उसके सेवक है |
अत: अपने जीवन के हर क्षण, हें कार्य के लिए हम उत्तरदायी है | जिसे इस तथ्य का बोध हो जाता है,  वह अपने जीवन के एक भी श्वास को व्यर्थ नहीं जाने देता |
    प्रत्येक कर्म करने से पूर्व सोचता है कि वह परमात्मा मुझे देख रहा है, वह विचार करता है कि मेरे इस कार्य से परमात्मा प्रसन्न होगा अथवा रुष्ट होगा | ऐसा व्यक्ति सदा सुकर्म करता हुआ जीवन को सार्थक होता चला जाता है | वह अपनी आत्मा में उस परमात्मा की ध्वनि मून पाता है, वह अपने दायित्वों को गम्भीरता से निभाता है तथा भीतर से प्रसन्न व संतुष्ट रहता है | उसकी आँखों में चमक होती है, मुखमंडल पर शांति, उत्साह एवं संतुष्टि के भाव होते है | और यही जीवन जीने की कला है | अत: सदा यह बोध रखें कि हर पर, हर क्षण हमारे सद्गुरु, हमारा परमात्मा हमें देख रहा है की मेरा शिष्य, मेरा भक्त कितना योग्य है, उतरदायी है, जीवन की पूंजी के प्रति कितना सजग है | यदि यह बोध हो जाए तो व्यक्ति कभी अनुचित कार्य कर ही नहीं सकता, अधर्म नहीं कर सकता | अपितु वह जीवन के हर क्षण, हर पल में वह चेष्टा, वह कार्य करने का प्रयास करता है कि सद्गुरु व ईश्वर कैसे प्रसन्न हों | उनकी प्रसन्नता प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हों जाता है और अपने जीवन को सार्थक कर लेता है |

                          

सन्मार्ग

                           

       सन्मार्ग


व्यक्ति का जीवन एक यात्रा की भांति है जिसमे अग्रसर होते होते सभी ऐसे क्षण आते है जब हम दौराहे अथवा चौराहे पर आकर खड़े हो जाते हैं | असमंजस में पड़कर सोचने लगते है कि किस राह पर कदम रखे, किस दिशा में प्रस्थान करें कि अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें | मन तथा मस्तिष्क में एक द्वंद होता है – एक पक्ष एक मार्ग की बाधाएँ, कठिनाइयाँ तथा परिणाम सामने रखता है तो दूसरा पक्ष दूसरे मार्ग की आकर्षक छवि व आयाम दिखाता है | एक मार्ग उन्नति की ओर, प्रकाश की ओर ले जाने वाला होता है किंतु दिखने में दुर्गम प्रतीत होता है |
दूसरा मार्ग अवनति की ओर, अंधकार की ओर ले जाने वाला होता है किंतु अत्यंत सरल लगता है | प्रकाश का मार्ग अनुशासन, कर्मठता, नियंत्रण, उदारता, प्रेम, त्याग का मार्ग है तो अन्धकार का मार्ग आलस्य, प्रमाद, स्वार्थ एवं विषय भोग का मार्ग है |
आश्चर्यजनक विषय यह है कि उन्नति का मार्ग अत्यंत नीरस एवं आकर्षणहीन होता है किंतु अवनति का मार्ग अत्यंत आकर्षक व मोहक प्रतीत होता है | उसके आकर्षण में बंधा हुआ मनुष्य उस ओर खिंचा चला जाता है, परिणाम का विचार किए बिना वह उस मार्ग पर अपने कदम बढ़ा देता है तथा उस आकर्षण के भँवर में फसँता चला जाता है |
जो व्यक्ति अपनी आत्मा की, अपनी चेतना की आवाज सुनकर उसे सम्मान देता है, वह सुमार्ग पर कदम बढ़ाता है तथा उसका परिणाम सदैव कल्याणकारी होता है | इसके विपरीत जो व्यक्ति अपने अन्त:करण की आवाज को सुना-अनसुना कर देता है, वह कुमार्ग का पथिक बन जाता है तथा साथ ही उसके कटु परिणाम के बंधन में बंध जाता है |
हमारे ग्रन्थों में प्रकाश तथा अन्धकार के इन मार्गों को क्रमशः श्रेय तथा प्रेय मार्गो की संज्ञा दी गयी है | प्रकाश का, उन्नति का मार्ग श्रेय अर्थात – श्रेष्ठ मार्ग है किंतु कठिन है | अन्धकार का, अवनति का, मार्ग प्रेय अर्थात – प्यारा लगने वाला मार्ग है किंतु, उसका परिणाम दुखदायी है | श्रेय मार्ग सृजन का, निर्माण का मार्ग है व प्रेय मार्ग विध्वंस का मार्ग है | सद्गुरु व ईश्वर की कृपा से जब व्यक्ति के भीतर विवेक जागृत हो जाता है तो वह सदा कल्याणकारी मार्ग का चयन करता है तथा यह विवेक, यह सद्बुधि मिलती है सद्गुरु के सानिध्य से, सत्संगति से, सद्विचारों से |

ईश्वर करे कि हम सभी के भीतर यह विवेकिनी शक्ति जागे कि हम सत्मार्ग का चयन कर उसके पथिक बन सकें तथा कल्याण के पथ पर अग्रसर होकर जीवन को उन्नत करें | 

संभावनाओं की जाग्रति

                         संभावनाओं की जाग्रति  



मानव परम सत्ता की वह सुन्दरतम कृति है जिसमें परमात्मा का सौंदर्य स्पष्ट रूप से प्रतिबिम्बित होता है | मानव जीवन वह अमूल्य अवसर है , जिसमें विकास की अधिकतम संभावनाएं निहित हैं किंतु उन संभावनाओं को जागृत करना तथा अपने व्यक्तित्व को पूर्णरूपेण विकसित करना स्वयं मानव पर निर्भित करता है | इसके लिए उसे प्रयास करना पड़ता है | जो व्यक्ति इसके प्रति सचेत हों जाता है , वह असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है अन्यथा सामान्य रूप में जीवन यापन कर व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर देता है |
जब – जब मनुष्य ने अपनी सम्भावनाओं को जागृत किया तब – तब ही न्यूटन तथा आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों का , तानसेन जैसे संगीतज्ञ का , सम्राट अशोक जैसे प्रशासक का , रामानुज जैसे गणितज्ञ का , मीरा व नामदेव जैसे संतों का , विवेकानंद व कबीर जैसे महात्माओं का एवं शहीद भगतसिंह व रामप्रसाद बिस्मिला जैसे क्रांतिकारियों का जन्म हुआ | ये वे नाम हैं जो इतिहास मैं अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर गए | इन्होने अपने अपने क्षेत्रों में कीर्तिमान स्तापित किया तथा यह दिखा दिया कि मानव चाहे तो सफलता के उच्च शिखर को स्पर्श कर अपना जीवन सार्थक कर सकता है , आवश्यकता है तो मात्र अपनी क्षमताओं कों जानने की, जगाने की , असंम्भव कुछ भी नही है |

मानव जीवन सागर की भांति विशाल एवं गहरा है जिसके गर्भ में अमूल्य रत्न छिपे हैं | इन्हें प्राप्त करने के लिए आपकों स्वयं अपने भीतर उतरना होगा , अपनी शक्तियों कों एकाग्र कर, अपनी क्षमताओ कों जागृत करना होगा | अपनी दुर्बलताओं , निराशाओं व अकर्मण्यता से बाहर निकलकर संकल्प लें तथा अपने जीवन को प्रयास में संलग्न हों जाएँ | शुभम अस्तु |

Wednesday, 31 August 2016

Om Chakra Meditation


CHAKRA MEDITATION
By internationally acclaimed
Meditation Guru,
“ARCHNA DIDI”
. . . the gateway to physical, mental & spiritual excellence!!!

OM-THE SOUND OF UNIVERSE !

There was a time when nothing existed and only still silent space was there. Then the vibration of Om was noticed which is known as vibration of creation. It is also known as the 'Anahat Nada’. 

Our mind is most powerful and beyond all physical existence. Thoughts are the seeds of creation. Whatever thoughts are united with Om in our mind can help to bring them into creation. 

Let us all awaken our dormant energies through the powerful "Om Chakra Meditation" and reach to a blissful state of purification of mind, body and soul.   

This unique workshop consists of powerful & practical meditation techniques drawn from ancient traditions, enriched by Meditation Guru-ARCHNA DIDI’s profound insight & knowledge that is relevant in the present era of intellectual evolution.

Some things in this world are beyond description, same is the experience of getting the opportunity to enter into the mystical state of ‘OM’ Chakra Meditation to explore the limitless divinity inside you with the grace of “SADGURU”. The best part is- it is beneficial for a beginner as well as a person who has been practicing meditation daily because in meditation only your devotion matters. Even a beginner can achieve great heights with his devotion & keenness to experience meditation.

So don’t miss this golden opportunity!

Some of the benefits of this unique “OM” CHAKRA MEDITATION WORKSHOP:-

1. Reduces stress level in all areas of your life.
2. A person's ability to concentrate and awareness are greatly enhanced. 
3. Improves Intuition, memory and Cognitive function.
4. Ensures better physical and sound mental health (relieves depression, tensions, worries, anxiety etc.) 
5. Makes one more relaxed, energetic, enlightened and positive.
6. Purification of Mind , Body and Soul.
7. Realization of true self.
8. Spiritual enhancement and unity with supreme power & many more. . .

  
Date:- Thu., 8th Sep. to Sun., 11th Sep. 2016

Time:- 07:00 am – 09:00 am

Venue:- Sports Facilities Complex, NOIDA STADIUM,
Sec-21A, Opp. Spice PVR,  NOIDA
(Entry Gate No.-4)


!!!! Limited Seats !!!!

Entry by registration only....

Free Introductory Session on
8th Sep.2016

 "There is no mistake in the world as big as the missed opportunity"

For Registration, Contact:-
Head Office:-9999-303130, 8800-750750, 9213-444499
Branch Office (Noida):-9891334100, 9599592366,9818778555

Regards
Team ARCHNA DIDI

CELEBRATING LIFE FOUNDATION
24, Park View Apartments, Plot - 16, Sector - 12,

Dwarka, Delhi -110078 (INDIA)


Sunday, 28 August 2016

यात्रा देवत्व की ओर

   
 हम अभी बाल्यावस्था से अनेक कथाएँ सुनते-पढ़ते आए है जिसमें देवताओं एवं असुरों के मध्य युद्ध का वर्णन मिलता है | इन कथाओं में असुरों की आसुरी वृति के वृतांत सुनकर व पढ़कर आश्चर्य होता है कि ऐसा निकृष्ट कार्य कोई कैसे कर सकता है | और जब कथा के अंत में वर्णन आता है कि अमुक देवता ने अमुक असुर का अंत कर दिया तो मन में प्रसन्नता का भाव उदय होता है |

    किंतु क्या आपने कभी इन कथाओं का गम्भीरता से चिन्तन-मनन किया है ? यदि गहराई से विचार करें तो आप पाएँगे कि ये देवता और असुर कोई और नहीं अपितु मनुष्य के मन में उठने वाली दैवी एवं आसुरी वृतियां ही है | गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने दैवी एवं असुरी सम्पदा का उल्लेख किया है | वस्तुतः देवता और राक्षस दोनों ही हमारे मन में सदैव उपस्थित रहते है | जीवन में प्रतिफल, प्रतिक्षण उनमे युद्ध चलता है | देवता से अर्थ है –हमारे मन की सात्विक वृति, सद्गुण, सुविचार एवं सुकर्म की भावना – पवित्रता, कर्मठता, उत्साह, सकारात्मकता, परोपकार, प्रेम, साधना, भक्ति, त्याग, शालीनता, शांति — यह हमारी दैवी सम्पदा है, हमारे भीतर की दैवी शक्ति है | इसके विपरीत असुर से तात्पर्य है – हमारे मन की तामसिक वृति, दुर्गुण, कुविचार एवं कुकर्म की भावना – आलस्य, प्रमाद, हिंसा, ईर्ष्या-द्वेष्, क्रोध, स्वार्थ, नकारात्मकता, घृणा, छल-कपट – यह आसुरी सम्पदा है, हमारे भीतर की आसुरी वृति है |

      जीवन के हर मोड़ पर, हर पढ़ाव पर, हर पल इनमें युद्ध होता है | जब दैवी वृति आसुरी वृति को परास्त कर उस पर हावी हों जाती है | तो हम सद्गुरु के, ईश्वर के निकट हो जाते है, उनकी कृपाओ के पात्र बन जाते है | किंतु जब आसुरी वृति दैवी वृति को परास्त कर देती है तो हम सद्गुरु से, ईश्वर से दूर हों जाते है |

       इसे उदाहरण से समझिए – उषाकाल की पवित्र बेला, आसमान में चंद्रमा व सितारों का साम्राज्य चल रहा है, भगवान भुवनभास्कर का साम्राज्य व्याप्त होने को तत्पर है, पक्षियों की आवाजें कर्णो में आने लगी है | मनुष्य की निंद्रा में अलसाई आँख खुलती है, भीतर से प्रभात का संकेत मिलता है और इसी क्षण देवताओं व असुरों का युद्ध शुरू हो जाता है | प्रभात के सौंदर्य का अपन दिव्य आकर्षण है, चारों ओर सात्विकता है, ध्यान, जप भक्ति की मधुर बेला है किंतु दूसरी ओर निंद्रा का अपना आकर्षण है | अलसाई आँखे क्षण भर को खुलती है, फिर बंद हों जाती है | मन में एक द्वंद का जन्म होता है | मन की दैवी वृति जागने के लिए प्रेरित करती है, शैया का त्याग कर, स्नान-ध्यान- पूजन के लिए प्रेरित करती है तो आसुरी वृति निंद्रा की ओर प्रेरित करती है, निंद्रा के आकर्षण में बाँधती है | कुछ क्षण तक यह युद्ध चलता है | जिस व्यक्ति में दैवी वृति विजयी होती है,वह शैया का त्याग कर उठ खड़ा होता है| इसके विपरीत जिस व्यक्ति में आसुरी वृति जीत जाती है वह आँखे खोलकर भी, भीतर के संकेतों को सुना-अनसुना कर पुन: निंद्रित हों जाता है | प्रभात का समय गवाँकर स्वास्थ्य व परमार्थ दोनों से ही हाथ धो बैठता है |

धन्य है वे मनुष्य जिनके भीतर के युद्ध में दैवी वृति की विजय होती है, वे उतरोतर परमात्मा के निकट होते जाते है |

किंतु जिनके भीतर आसुरी वृति की विजय होती है – वे भी दो प्रकार के मनुष्य होते है – एक वे जो इस विजय के पश्चात पश्चाताप करते है, स्वंय को दोष देते है, इसे अनुचित मानते है तथा भविष्य में दैवी वृति की विजय के लिए संकल्पबद्ध होते है – उनके उत्थान की संभावनाएं बनी रहती है | किंतु वे मनुष्य भी है जिन्हें इसका कोई पश्चाताप नहीं होता | वे आसुरी वृति की विजय में ही सतुंष्ट रहते है या कहना चाहिए कि उनके भीतर युद्ध का जन्म ही नहीं होता | वे आसुरी जीवन से ही संतुष्ट है | अविधा, अज्ञान, आलस्य, अशांति में ही संतुष्ट है | उनके उत्थान की संभावनाएं भी समाप्त हों जाती है |


किंतु मनुष्य को जीवन मिला है – देवता बनने के लिए, असुर बनने के लिए नहीं | अत: अपने भीतर के देवत्व को जागृत कीजिये |   

Wednesday, 6 July 2016

FEEL GOOD AND ALWAYS CARRY NEW ENERGY

FEEL GOOD AND ALWAYS CARRY NEW ENERGY

It is in the nature of the man that he always welcomes confidentially new strata in life.  Everybody wants something new in life, not only fighting with the old but on building the new also.   Man shows sadness or forgetfulness towards the old happenings, incidents or things.  Newsome has an attraction, a confidence, a desire and awareness.   A scientist wants to focus all his energy on new discoveries or inventions, a statue maker in creating new statues, a Chitarkar in bringing out new Chitar, a doctor thinks of new ways of treatment, a teacher researches for new educational procedures, advocate goes for new points, business man think of new ideas for his business and a student wants to enter into a new chapter.  In a way every person’s eyes are on something new. 
While talking, we want to hear latest news.  Old is always unattractive, strength less, and our mind runs away from that.  Whatever the confidence, strength and freshness the new some has, is the only reason that man welcomes the outcome of New Year with full happiness and strength. New Year is a hope, confidence, new beginning and a new chapter in life.  As with the sun sets in the evening; next day morning the sun will rise.  So also with the rising sun, new beginning is essential.  Similarly, with the end of the previous year, the beginning of New Year is fixed.  One is present and the other is past. 

By educating yourself, the gains in the previous year, tragedies, incidents, accidents, successes, failures, remembrances etc., welcome the New Year with new promises, planning, oath, power and strength.  Make use of the happiness, freshness and hopes in your mind.  Then only the coming year till its end will continue to give required confidence, energy, strength and freshness in you.  Analyze, memorize and think over as to what is the weakness in your personality which hinders in your development and progress.   Also think over what specialties the God and nature has bestowed upon you.  While using them, go forward and surely, these could be helpful in your future successes.  Based on this analysis, plan the works, establish the means and divide your valuable time sensibly.  Also chalk out how much time is required to finish up a particular work.  Plan, which work require priority, which works are of less importance and could be postponed.  Pay attention and fix time for spirituality, Jap,Tap, Puja and meditation which in return provide the inner strength.  For healthy body, take ritual food, fix time for Yoga, required sleep, family, occupation and entertainment etc.  In every sphere of life, division of time is necessary. 

In this world, everything sheds and becomes old with the passage of time.  Although, we may always be in search of new things but it is the principle of nature, nothing always remains new or full of freshness.  The Anand, happiness and freshness that we get by way of Bhakti, meditation and Jap is ever lasting and new.   It always fills you with joy and new energy.  This is the only medium where the search of new some is attained.  This invisible strength of the God and His high power are always new and whenever you come in interaction with Him through Bhakti and meditation, you will experience everything new. This new wind will fill you with full freshness.  That’s why it has been said in Krishna Satuti, “Diney Diney Nama Nama”. He is new at every second, every minute and every day. Whenever you sit in meditation or in Bhakti, you will attain his Darshana in new (Roop) face.

Whenever you are under the umbrella of MEDITATION SATGURU ARCHNA DIDI, you will always be content, feel good and carry with you new energy.  You will have darshana of Him in new Roop because that is the source of new some, Anand and energy.  Wherever in the world, you must feel the presence of happiness, new some, pleasantness, energy and healing; it is just the molecule part of that Parmatma.   Therefore, for the health of your body, successes, development all over and for the canons of meditation, bring new energy in yourself with the blessings of DIDI and Parmatama.