संभावनाओं की जाग्रति
मानव परम सत्ता की वह सुन्दरतम
कृति है जिसमें परमात्मा का सौंदर्य स्पष्ट रूप से प्रतिबिम्बित होता है | मानव
जीवन वह अमूल्य अवसर है , जिसमें विकास की अधिकतम संभावनाएं निहित हैं किंतु उन संभावनाओं
को जागृत करना तथा अपने व्यक्तित्व को पूर्णरूपेण विकसित करना स्वयं मानव पर
निर्भित करता है | इसके लिए उसे प्रयास करना पड़ता है | जो व्यक्ति इसके प्रति सचेत
हों जाता है , वह असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है अन्यथा सामान्य रूप में
जीवन यापन कर व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर देता है |
जब – जब मनुष्य ने अपनी
सम्भावनाओं को जागृत किया तब – तब ही न्यूटन तथा आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों का ,
तानसेन जैसे संगीतज्ञ का , सम्राट अशोक जैसे प्रशासक का , रामानुज जैसे गणितज्ञ का
, मीरा व नामदेव जैसे संतों का , विवेकानंद व कबीर जैसे महात्माओं का एवं शहीद
भगतसिंह व रामप्रसाद बिस्मिला जैसे क्रांतिकारियों का जन्म हुआ | ये वे नाम हैं जो
इतिहास मैं अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर गए | इन्होने अपने अपने
क्षेत्रों में कीर्तिमान स्तापित किया तथा यह दिखा दिया कि मानव चाहे तो सफलता के
उच्च शिखर को स्पर्श कर अपना जीवन सार्थक कर सकता है , आवश्यकता है तो मात्र अपनी
क्षमताओं कों जानने की, जगाने की , असंम्भव कुछ भी नही है |
मानव जीवन सागर की भांति
विशाल एवं गहरा है जिसके गर्भ में अमूल्य रत्न छिपे हैं | इन्हें प्राप्त करने के
लिए आपकों स्वयं अपने भीतर उतरना होगा , अपनी शक्तियों कों एकाग्र कर, अपनी
क्षमताओ कों जागृत करना होगा | अपनी दुर्बलताओं , निराशाओं व अकर्मण्यता से बाहर
निकलकर संकल्प लें तथा अपने जीवन को प्रयास में संलग्न हों जाएँ | शुभम अस्तु |
दीदी के आशीर्वचन सुनकर मानव जीवन का उददेश्य ज्ञात हुआ। उनके ध्यान व प्रवचन सत्रों के माध्यम से यह जीवन सदगुणों के मार्ग पर अग्रसर हुआ। सदगुरु अर्चना दीदी के पावन चरणों में कोटि नमन।।
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