Saturday, 3 September 2016

संभावनाओं की जाग्रति

                         संभावनाओं की जाग्रति  



मानव परम सत्ता की वह सुन्दरतम कृति है जिसमें परमात्मा का सौंदर्य स्पष्ट रूप से प्रतिबिम्बित होता है | मानव जीवन वह अमूल्य अवसर है , जिसमें विकास की अधिकतम संभावनाएं निहित हैं किंतु उन संभावनाओं को जागृत करना तथा अपने व्यक्तित्व को पूर्णरूपेण विकसित करना स्वयं मानव पर निर्भित करता है | इसके लिए उसे प्रयास करना पड़ता है | जो व्यक्ति इसके प्रति सचेत हों जाता है , वह असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है अन्यथा सामान्य रूप में जीवन यापन कर व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर देता है |
जब – जब मनुष्य ने अपनी सम्भावनाओं को जागृत किया तब – तब ही न्यूटन तथा आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों का , तानसेन जैसे संगीतज्ञ का , सम्राट अशोक जैसे प्रशासक का , रामानुज जैसे गणितज्ञ का , मीरा व नामदेव जैसे संतों का , विवेकानंद व कबीर जैसे महात्माओं का एवं शहीद भगतसिंह व रामप्रसाद बिस्मिला जैसे क्रांतिकारियों का जन्म हुआ | ये वे नाम हैं जो इतिहास मैं अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर गए | इन्होने अपने अपने क्षेत्रों में कीर्तिमान स्तापित किया तथा यह दिखा दिया कि मानव चाहे तो सफलता के उच्च शिखर को स्पर्श कर अपना जीवन सार्थक कर सकता है , आवश्यकता है तो मात्र अपनी क्षमताओं कों जानने की, जगाने की , असंम्भव कुछ भी नही है |

मानव जीवन सागर की भांति विशाल एवं गहरा है जिसके गर्भ में अमूल्य रत्न छिपे हैं | इन्हें प्राप्त करने के लिए आपकों स्वयं अपने भीतर उतरना होगा , अपनी शक्तियों कों एकाग्र कर, अपनी क्षमताओ कों जागृत करना होगा | अपनी दुर्बलताओं , निराशाओं व अकर्मण्यता से बाहर निकलकर संकल्प लें तथा अपने जीवन को प्रयास में संलग्न हों जाएँ | शुभम अस्तु |

1 comment:

  1. दीदी के आशीर्वचन सुनकर मानव जीवन का उददेश्य ज्ञात हुआ। उनके ध्यान व प्रवचन सत्रों के माध्यम से यह जीवन सदगुणों के मार्ग पर अग्रसर हुआ। सदगुरु अर्चना दीदी के पावन चरणों में कोटि नमन।।

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