Monday, 20 February 2017

परम श्रद्धेय “अर्चना दीदी” का प्रेरणादायी उद्बोधन



परम श्रद्धेय  “अर्चना दीदी का प्रेरणादायी उद्बोधन

परम सत्ता द्वारा रचित इस सृष्टि में मानव देह तो अनेक जीवात्माएँ धारण करती है किंतु सभी का देह धारण करना सार्थक नही होता | अधिकांश रूप से मानव का जीवन अपने स्वार्थ की पूर्ति में ही व्यतीत हो जाता है | जीवन का प्रारंभ हुआ तथा कब देहावसान हो गया, किसी को इसका बोध भी नही होता |

किंतु कुछ महान आत्माएँ मानव देह धारण करके इतने विलम्ब तथा महान कार्य कर जाती है कि संपूर्ण धरा उनके श्वास–श्वास की ऋणी हो जाती है | कर्म ही नही, मात्र उनका अस्तित्व लाखों करोड़ो हृदयों की प्रेरणा तथा सम्बल होता है |

परमात्मा का दिव्य लोक से धरा पर आगमन होता है मात्र जीव कल्याण के लिए | अनेक जन्मों की तपस्या के फलस्वरूप साधना से सिद्धि तक की महायात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के पश्चात् उनके लिए कुछ भी पाना शेष नहीं रह जाता | मानव देह धारण कर मानो धरा को धन्य करने के लिए ही वे उस लोक से इस लोक में अवतरित होती है | ऐसी महान आत्माओं को हम सन्त, सिद्ध, सद्गुरु, महापुरुष, महात्मा आदि विशेषणों से सम्बोधित करते हैं |

ऐसी ही विलक्षण श्रृंखला की एक सुन्दर कड़ी है Celebrating Life Foundation की स्थापिका परम पूज्य ध्यान गुरु ‘अर्चना दीदी’ जिनका जीवन मानो ध्यान, साधना, ज्ञान व संत का ही पर्याय है | परम पूज्य अर्चना दीदी एक ऐसा वन्दनीय नाम, एक ऐसा व्यक्तित्व है जिनका विश्व समाज ऋणी है तथा सदा ऋणी रहेगा | उनका दिव्य सानिध्य, विचारधारा एवं मार्गदर्शन न जाने कितने लोगों के जीवन मे आशा, उत्साह, सुविचार,सुसंस्कार व साधना के लाखों दीपक प्रज्वलित कर रहा है |

अनेक सेवा प्रवल्वों की प्रेणता, मानव समाज की मार्गदर्शिका करुणा व प्रेम की प्रतिमूर्ति अर्चना दीदी मानो धरा का श्रृंगार है |

परम पूज्य ‘अर्चना दीदी’ की मान्यता है कि जिस अमृत की खोज में व्यक्ति जीवन भर भटकता है, वह उसके स्वयं के भीतर छिपा है | जिस प्रकार काष्ठ में अग्नि, मृग में कस्तूरी तथा वाध यंत्रों में संगीत छिपा होता है, ठीक उसी प्रकार अमृत का आनंद का स्रोत्र हमारे भीतर है | आवश्यकता है तो मात्र दिशा परिवर्तित करने की, बांसुरी हो अथवा तानपुरा, तबला हो अथवा वाणी, कोई भी वाद्य यंत्र हो दिखने में बहुत साधारण लगता है, उसे देखकर विश्वास नहीं होता कि उसमे से संगीत प्रकट हों सकता है किंतु जब यही साधारण सा दिखने वाला वाद्य यंत्र यदि किसी वादक के, किसी जानकार के हाथ में आ जाता है तो उसमें से बहुत मधुर संगीत प्रकट होता है |
ठीक इसी प्रकार मनुष्य का जीवन है | इसमें इतनी संभावनाएं भरी है कि जिसकी कल्पना नही की जा सकती किंतु ये संभावनाएं प्रकट होती है, जब मनुष्य को कुशल मार्गदर्शन मिलता है | उसके जीवन की बागडोर किसी कुशल हाथों में सौंप दी जाती है |

परम पूज्य ‘अर्चना दीदी’ की मान्यता है कि वास्तविक अर्थों में आध्यात्मिक वही है जो जीवन के हर पल में, हर आयाम में सफल है, जो सदा पुष्प की भांति खिला है जो सदा होश में जीवन जीता है, जिसका प्रत्येक क्षण उत्सवमय है |
इसके लिए आवश्यक है कि हम ध्यान, योग, प्राणायाम तथा सुविचारों की ओर उन्मुख हो |


मानव को स्वयं अपने अपने भीतर छिपे अमृत से परिचित कराने के शुभ उद्देश्य को लेकर दीदी ने कुछ समय पूर्व एक संस्था का गठन किया जिसे उन्होंने नाम दिया CELEBRATING LIFE FOUNDATION | दीदी के मार्गदर्शन में यह संस्था समाज सेवा की दिशा में तीव्र गति से अग्रसर है | विभिन्न स्थानों पर आयोजित ध्यान योग शिविरों, विचार शक्ति सत्रो, मंत्र विज्ञान, चक्र साधना, कुण्डलिनी में साधना, गायत्री साधना, आभामंडल की साधना, तनाव मुक्ति आदि अनेक–अनेक विशेष ध्यान शिविरों द्वारा दीदी हमें अनेक रहस्यों से परिचित करा रही है | साथ ही मातृ–पितृ विहीन, विकलांग व निर्धन बच्चों के लिए अभिप्रेरणा, योग एवं प्रतिभा विकास शिविर, निःशुल्क जाँच शिविर, आर्थिक व अन्य सहयोग, विशाल स्तर पर आयोजित वृद्धों के लिए विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियाँ निरंतर आयोजित की जाती है |

3 comments:

  1. ले चल ध्यानगुरू अर्चना दीदी अपने साथ
    ये दुनिया ना मेरी है
    बना जिस्म तो मिट्टी का
    मगर रूह ये तेरी है
    तेरे बिन कोई नहीं ज़िन्दगी
    हर इक साँस अधूरी है
    अब तो आजा मेरी प्यारी दीदी
    मिलना तेरा जरूरी है
    तू मुझसे तो दूर नहीं है
    मेरी ही मगरूरी है
    मेरी मेरी मिटा दे दीदी
    फिर तेरी ही तेरी है
    फिर तेरी ही तेरी है
    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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  2. Didi is working for the upliftment of society and guiding us all to make this world a better place. we have seen Didi spending time with children from NGO's with enthusiasm and love which tells us that service should be done whole heartedly. Didi is working with all of us to make us more aware and loving so that we become worthy of Divine Grace and love.

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  3. Our Sadguru Archna didiji is the supreme ideal of eternal happiness, love, peace and divine bliss. She is our spiritual master who has enlighten us to follow the path of meditation under her guidance. Her sole aim is to make people realize that the happiness they are searching for is not outside rather it is present here within themselves. Hari om

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