*परम श्रद्धेय “अर्चना दीदी “ का ओजस्वी उद्बोधन*
हमारा देश भारत अपनी आध्यात्मिक , धार्मिक, दार्शनिक तथा उच्च चिन्तनधारा के लिए सदा से ही विश्ववन्ध रहा है | भारतवर्ष की संस्कृति तथा दार्शनिक विचारधारा ने विश्वभर के देशों को प्रभावित किया है | ईश्वर भी यदि मानव देह धारण कर, भगवान् - राम तथा भगवान् - कृष्ण के रूप में धरा पर अवतरित हुए तो उन्होंने भारतभूमि का ही चयन किया | भारत की वसुधा, यहाँ के पावन तीर्थ स्थल , पर्वत , गुहा , नदियाँ , वन प्रदेश, सिद्धों , अवतारों ,ऋषि मुनियों , महापुरुषों के चरण चिन्हों से अंकित है | भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक , पूर्व से लेकर पश्चिम तक सिद्धों की वाणी गूंजती रही | भगवान् कृष्ण के श्रीमुख से निःसृत श्रीमद् भगवतगीता का महान संदेश भी भारत की धरती पर ही दिया गया | यह दिव्य वाणी आज तक ब्रह्मांड में समाई है तथा प्रत्येक युग में मानव को नवजीवन प्रदान करती रहेगी |
अग्निहोत्र की पवित्र अग्नि से इस भूमि तथा इस परिवेश का कण – कण पवित्र होता रहा है | मन्त्रों की शक्तिशाली तरंगों तथा पावन उच्चारण से भारत की भूमि सदा स्पन्दित रही है | आज भी तीर्थों , देव स्थलों , मंदिरों , गुरुद्वारों में ईश्वर के पवित्र मंत्रों तथा स्तोत्रों की मांगलिक ध्वनि गूंजती है जो कर्णों के माध्यम से हृदय में प्रवेश करते हुए आत्मा को मन्कृत कर देती है |
किंतु भारत का इतिहास अपने अंक में अनेक उतार - चढ़ाव समेटे हुए है | भारत के गौरव को ठेस पहुँचाने तथा इनकी महान् – संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेक प्रयास किए गए | विदेशियों ने भारतवासियों पर जो अत्याचार किया , जो व्यवहार किए , उससे हम सभी परिचित हैं | कितने वर्षों तक हमने परतंत्रता की पीड़ा झेली , कितने लम्बे समय तक गुलामी की बेड़ियों में हमारी सांसे घुटती रही – वह विवशता , वह सिसकियाँ , वह रुदन जिसकी कल्पना भी हृदय को विदग्ध कर देती है, हम भारतवासियों ने झेली है। धन्य है भारत माता के वे सपूत जिन्होंने इसकी स्वतंत्रता , गरिमा तथा आन – बाण की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए | राष्ट्रयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देकर जिन शहीदों ने इस यज्ञ को सम्पन्न किया , उनके प्रति हम सदा ऋणी रहेंगे | उनके अमर नाम तथा अमर कर्म भला कौन भुला सकता है | रामप्रसाद बिस्मिल , भगतसिंह , राजगुरु , चंद्रशेखर आजाद , बाल हकीकत राय , सुखदेव , राजेन्द्र लडीजी आदि अनेक – अनेक वीरों के त्याग तथा बलिदान से भारत की स्वतंत्रता का भव्य महल निर्मित हुआ | भारत माता के सपूत सदा आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श रहेंगे , इनकी वीरता की गाथाएँ सदा देश में गूंजती रहेंगी | इन्हीं के कारण आज हम आजाद भारत मे सांस ले रहे हैं | किंतु अब महत्वपूर्ण यह है कि हम स्वतंत्रता के मूल्य को समझें |
असंख्य वीरों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप स्वतंत्रता का जो उपहार हमें मिला है उसे बनाए रखना तथा भारत की गरिमा को बनाए रखना हमारा सर्वोपरि कर्तव्य है |
भारत की पवित्र धरती पर हमने जन्म लिया है तथा यहाँ की पवित्र वायु में हम श्वास ले रहे हैं किंतु दुर्भाग्यवश हम इसकी गरिमा को भूलते जा रहे हैं | हम मानो अपनी ही अमूल्य सम्पदा से अपरिचित हैं | हमारे संस्कार तथा जीवन मूल्य विलक्षण है किंतु हम उन्हें भूलकर ब्रह्मित होते जा रहे हैं | यदि हमें अपने जीवन को सार्थक करना है तो पुनः अपने जीवन मूल्यों के प्रति जागरूक होना होगा | भारत के हमारे ऋषि मुनियों , संतों महापुरुषों ने हमें जीवन के प्रति जो दृष्टिकोण प्रदान किया है , जो विचारधारा , जो चिंतन दिया है उसका अनुसंधान करना होगा |
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