Tuesday, 31 January 2017

Happy Basant Panchami

Vasant Panchami is an important Indian festival celebrated every year in the month of Magh according to the Hindu calendar.

  The significance of the day lies in the worship of Goddess Saraswati, symbol of wisdom and also the onset of spring season.

Aryans came and settled in India through Khyber Pass, crossing the Saraswati River among many others. Being a primitive civilization, most of their development took place along the banks of the River Saraswati. Thus, River Saraswati began to be associated with fertility and knowledge. It is then that the day began to be celebrated.

According to mythology, a popular associated with this day is connected with poet Kalidasa. After he was married off to a beautiful princess through trickery, the princess kicked him out of her bed as she learned that he was foolish. Following this, Kalidasa went to commit suicide, upon which Saraswati emerged from the waters and asked him to take a dip there. After taking a dip in the holy waters, Kalidasa became knowledgeable and began writing poetry. Thus, Vasant Panchami is celebrated to venerate Goddess Saraswati, the goddess of education and learning.

The festival is celebrated by farmers as the on-coming of the spring season.

Monday, 23 January 2017

ध्यान गुरु अर्चना दीदी के दो मास की गहन साधना एवं मौन में जाने का समय निकट आ रहा है

*ध्यान गुरु अर्चना दीदी  के दो मास की गहन साधना एवं मौन में जाने का समय निकट आ रहा है*

*ध्यान गुरु अर्चना दीदी* का जीवन ध्यान, तपस्या, सेवा एवं आनंद का पर्याय है | जन्म – जन्मान्तरों की ध्यान की संघर्षपूर्ण, सुदीर्घ एवं कठिन यात्रा को दृढ़तापूर्वक पूर्ण कर पाना दीदी जैसे उच्च व्यक्तित्व के लिए ही संभव है | इस यात्रा के विभिन्न सोपानों को पार कर ध्यान में भीतर उतरकर जो कुछ उन्होंने पाया है, वे समाज में वितरित कर रहीं हैं व चारों और आनंद के फूल खिला रही है |

संसार में ध्यान की सुगन्ध बिखेरते– बिखेरते दीदी जैसे महान् सिद्ध कुछ अन्तराल के लिए पुनः अपनी गहन साधना एवं मौन में चले जाते हैं  |

साधना से जो  कुछ उन्हें प्राप्त होता है वे उसे मानवता को अर्पित कर देते हैं | उनका एक हाथ परम सत्ता के हाथ में होता है तथा एक हाथ जीव कल्याण के लिए संसार के हाथ में | आनंद के सागर में डुबकी लगाने का उनका समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और जब साधना से लौट कर वे समाज के बीच आते हैं तो उनका दर्शन पाकर हम कृतार्थ हो जाते हैं |

ऐसे ही साधना के अंतराल के पश्चात् 27 मार्च 2017 को  दीदी पुनः समाज के मध्य में आएँगी | सौभाग्यशाली हैं वे साधक जिन्हें 27 मार्च को उनका पावन दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त होगा |

CELEBRATING LIFE - 2017
27 March 2017 Monday
Des Raj Arya Auditorium
5:30 pm Onwards

Sunday, 22 January 2017

26 JANUARY REPUBLIC DAY

*परम श्रद्धेय “अर्चना दीदी “ का ओजस्वी उद्बोधन*

हमारा देश भारत अपनी आध्यात्मिक , धार्मिक, दार्शनिक तथा उच्च चिन्तनधारा के लिए सदा से ही विश्ववन्ध रहा है | भारतवर्ष की संस्कृति तथा दार्शनिक विचारधारा ने विश्वभर के देशों को प्रभावित किया है | ईश्वर भी यदि मानव देह धारण कर, भगवान् - राम तथा भगवान् - कृष्ण के रूप में धरा पर अवतरित हुए तो उन्होंने भारतभूमि का ही चयन किया | भारत की वसुधा, यहाँ के पावन तीर्थ स्थल , पर्वत , गुहा , नदियाँ , वन प्रदेश, सिद्धों , अवतारों ,ऋषि मुनियों , महापुरुषों के चरण चिन्हों से अंकित है | भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक , पूर्व से लेकर पश्चिम तक सिद्धों की वाणी गूंजती रही | भगवान् कृष्ण के श्रीमुख से निःसृत श्रीमद् भगवतगीता का महान संदेश भी भारत की धरती पर ही दिया गया | यह दिव्य वाणी आज तक ब्रह्मांड में समाई है तथा प्रत्येक युग में मानव को नवजीवन प्रदान करती रहेगी |

अग्निहोत्र की पवित्र अग्नि से इस भूमि तथा इस परिवेश का कण – कण पवित्र होता रहा है | मन्त्रों की शक्तिशाली तरंगों तथा पावन उच्चारण से भारत की भूमि सदा स्पन्दित रही है | आज भी तीर्थों , देव स्थलों , मंदिरों , गुरुद्वारों में ईश्वर के पवित्र मंत्रों तथा स्तोत्रों की मांगलिक ध्वनि गूंजती है जो कर्णों के माध्यम से हृदय में प्रवेश करते हुए आत्मा को मन्कृत कर देती है |
किंतु भारत का इतिहास अपने अंक में अनेक उतार - चढ़ाव समेटे हुए है | भारत के गौरव को ठेस पहुँचाने तथा इनकी महान् – संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेक प्रयास किए गए | विदेशियों ने भारतवासियों पर जो अत्याचार किया , जो व्यवहार किए , उससे हम सभी परिचित हैं | कितने वर्षों तक हमने परतंत्रता की पीड़ा झेली , कितने लम्बे समय तक गुलामी की बेड़ियों में हमारी सांसे घुटती रही – वह विवशता , वह सिसकियाँ , वह रुदन जिसकी कल्पना भी हृदय को विदग्ध कर देती है, हम भारतवासियों ने   झेली है।  धन्य है भारत माता के वे सपूत जिन्होंने इसकी स्वतंत्रता , गरिमा तथा आन – बाण की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए | राष्ट्रयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देकर जिन शहीदों ने इस यज्ञ को सम्पन्न किया , उनके प्रति हम सदा ऋणी रहेंगे | उनके अमर नाम तथा अमर कर्म भला कौन भुला सकता है | रामप्रसाद बिस्मिल , भगतसिंह , राजगुरु , चंद्रशेखर आजाद , बाल हकीकत राय , सुखदेव , राजेन्द्र लडीजी आदि अनेक – अनेक वीरों के त्याग तथा बलिदान से भारत की स्वतंत्रता का भव्य महल निर्मित हुआ | भारत माता के सपूत सदा आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श रहेंगे , इनकी वीरता की गाथाएँ सदा देश में गूंजती रहेंगी | इन्हीं के कारण आज हम आजाद भारत मे सांस ले रहे हैं | किंतु अब महत्वपूर्ण यह है कि हम स्वतंत्रता के मूल्य को समझें |

असंख्य वीरों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप स्वतंत्रता का जो उपहार हमें मिला है उसे बनाए रखना तथा भारत की गरिमा को बनाए रखना हमारा सर्वोपरि कर्तव्य है |

भारत की पवित्र धरती पर हमने जन्म लिया है तथा यहाँ की पवित्र वायु में हम श्वास ले रहे हैं किंतु दुर्भाग्यवश हम इसकी गरिमा को भूलते जा रहे हैं | हम मानो अपनी ही अमूल्य सम्पदा से अपरिचित हैं | हमारे संस्कार तथा जीवन मूल्य विलक्षण है किंतु हम उन्हें भूलकर  ब्रह्मित  होते जा रहे हैं | यदि हमें अपने जीवन को सार्थक करना है तो  पुनः अपने जीवन मूल्यों के प्रति जागरूक होना होगा | भारत के हमारे ऋषि मुनियों , संतों महापुरुषों ने हमें जीवन के प्रति जो      दृष्टिकोण प्रदान किया है , जो विचारधारा , जो चिंतन    दिया है उसका अनुसंधान करना होगा |



Saturday, 21 January 2017

SMILE & SADHAK

SMILE & SADHAK

This life is for celebration. Enjoy yourself every moment of life.  The only aim of a Sadhak is to remain happy, smiling and enjoying in every situation of life.  Such Sadhak distributes the smile all over wherever he goes. 

If you see special and attractive flowers on a tree and you want similar flowers on another tree, your outside trial will not serve the purpose.  You will have to make a search for seeds of that tree.  The seed when sown in earth only can give you the flower of your choice.  Therefore, the source is very important.

Howsoever, you may try to bring smile from outside on your face, you will not succeed.  Try to reach the source. *Meditation Guru Archna Didi* says, “I always smile because of the fact that I consider every second of my life as Utsav.  While meditating, when you are nearer to the Parmatama, you feel inner joy and happiness.   You enjoy every moment of life.  Then the heart is filled with peace, holiness and enjoyment.  This situation of the mind comes automatically in the form of a smile on the face.  It happens at its own and not from any outside thrust.  Go upto the source, go down deeply in meditation, you will find that you get answers to your questions”.

Friday, 13 January 2017

मकर संक्रांति

*मकर संक्रांति पर्व का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक महत्व....!!*

भारत पर्वों एवं त्योहारों का देश है, यहाँ कोई भी महीना ऐसा नहीं हैं, जिसमें कोई न कोई त्यौहार न पड़ता हो, इसीलिए अपने देश में यह उक्ति प्रसिद्ध है कि 'सदा दीवाली साल भर, सातों बार त्यौहार'।

इन्हीं त्यौहारों में मकर संक्रांति भी है, जिसकी अपनी एक अलग ही विशेषता है एवं वैज्ञानिक आधार है।

हम जानते हैं कि ग्रहों एवं नक्षत्रों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
इन ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति आकाशमंडल में सदैव एक समान नहीं रहती है, हमारी पृथ्वी भी सदैव अपना स्थान बदलती रहती है।

पृथ्वी की गोलाकार आकृति एवं अक्ष पर भ्रमण के कारण दिन-रात होते है
पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सम्मुख पड़ता है वहाँ दिन होता है एवं जो भाग सूर्य के सम्मुख नहीं पड़ता है, वहाँ रात होती है, पृथ्वी की यह गति दैनिक गति कहलाती है।

किंतु पृथ्वी की वार्षिक गति भी होती है और यह एक वर्ष में सूर्य की एक बार परिक्रमा करती है।
पृथ्वी की इस वार्षिक गति के कारण इसके विभिन्न भागों में विभिन्न समयों पर विभिन्न ऋतुएँ होती है जिसे ऋतु परिवर्तन कहते हैं।

इस क्रम में सूर्य की स्थिति भी उत्तरायण एवं दक्षिणायन होती रहती है, जब सूर्य की गति दक्षिण से उत्तर होती है तो उसे उत्तरायण एवं जब उत्तर से दक्षिण होती है तो उसे दक्षिणायण कहा जाता है।

इस प्रकार पूरा वर्ष उत्तरायण एवं दक्षिणायन दो भागों में बराबर-बराबर बँटा होता है।

चूँकि १४ जनवरी को ही सूर्य प्रतिवर्ष अपनी कक्षा परिवर्तित कर दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता है, अत: मकर संक्रांति प्रतिवर्ष १४ जनवरी को ही मनायी जाती है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य की कक्षा में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है।*
मकर संक्रांति से दिन में वृद्धि होती है और रात का समय कम हो जाता है, इस प्रकार प्रकाश में वृद्धि होती है और अंधकार में कमी होती है।*

Tuesday, 3 January 2017

मून चक्र साधना शिविर ( सूरत )





मून चक्र मैडिटेशन
अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ध्यान गुरु अर्चना दीदी एक महान व्यक्तितव हैं जिन्होंने ध्यान के उच्च शिखरों को स्पर्श कर दिव्य उपलब्धियाँ प्राप्त कीं । देश - विदेश में उनकी दिव्य उपस्थिति में आयोजित अनेक - अनेक ध्यान शिविरों के माध्यम से असंख्य लोगों के जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन घटित हुए हैं।
दीदी की विशेषता यही है कि वे सत्र में उपस्थित व्यक्ति को ध्यान की अनुभूति करा देती हैं ।ऐसी ही एक दिव्य अनुभूति का दुर्लभ अवसर हम सभी को प्राप्त हो रहा है - मून चक्र मैडिटेशन के माध्यम से ।
व्यक्ति को अपने हजारों कार्य छोड़कर भी इस अवसर का लाभ मिले तो यह लाभ लेना चाहिए।
यह अवसर होता है जीवन को सफल करने का, सार्थक करने का , भीतर की यात्रा का, कृपा प्राप्ति का। अतः इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए।
मून चक्र मैडिटेशन के लाभ
* सात ऊर्जा केंद्रों --- चक्रों का सक्रियकरण ।
* मन की शांति व तनाव मुक्ति।
* आध्यात्मिक उन्नति एवं परम् सत्ता से एकीकरण।

चंद्रमा की साधना एवं चक्रों की साधना और वह भी ध्यान गुरु अर्चना दीदी जैसे महान सद्गुरु से प्रत्यक्ष कृपा प्राप्ति - करें